नैना चार ध्वनि की शुद्धता को मनाने के लिए कैलाश खेर और श्रेया घोषाल की एक विशेष रचना है.
गाने के बोल:
वो जो बिन बोले बाते मन कि कर लेते हैं
झूठे किस्से भोले बन के गढ़ लेते हैं
वो जो बिन बोले बाते मन कि कर लेते हैं
झूठे किस्से भोले बन के गढ़ लेते हैं
चाहे शोर में या भीड़ में, सन्नाटे या छीड़ में
जो बिन देखे एक दूजे से लड़ लेते है
भागे हमसे आगे
जुड़ जाये तो जैसे सौन सुहागे
ए दो तेरे दो मेरे
ए दो तेरे दो मेरे
नैना चार, नैना
चार,
नैना चार, नैना
नैना चार, नैना
चार,
नैना चार, नैना
नैना चार, नैना
चार,
नैना चार, नैना
नैना चार, नैना
नैना चार, नैना
नैना ... नैना ...
हो .... हो हो ...
हाँ जी मान गए, हम है खूब बुरे
ये सुगढ़ भले
ये तोह अड़ियल है, जी पत्थर पिघलाए
ये ना पिघले
पाश करे वशी करण, जादू टोना सा
धड़के जो छाती के भीत, तिकोना सा
बेहरुपी ठागिया वे, ठगे बनके बालक से
दो तेरे, दो मेरे
नैना चार, नैना
चार,
नैना चार, नैना
नैना चार, नैना
चार,
नैना चार, नैना
बैठे चौखट पे नीले नूरानी बनके पेहरी
भेदी ढूँढ रहे, डमरू बजा बजा, गा गा लेहरी
तीखे है, मीठे है, ये बहलाव है
भरम रचे, खूब जचे, महज दिखावा है
ये बहेलिया, ये सपेरे
ये न छोड़े, डस डस के
दो तेरे, दो मेरे मेरे
ए दो तेरे, दो मेरे
हा…
नैना चार, नैना
चार,
नैना चार, नैना
नैना चार, नैना
चार,
नैना चार, नैना
नैना...
नैना चार, नैना
चार,
नैना चार, नैना
नैना...
नैना चार, नैना
नैना...
नैना...
नैना...
नैना...
नैना...
नैना...
नैना...
नैना...
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